वह शक्ति हमे दो प्रभु आपके मार्ग पर डटे रहे। आपके द्वारा संचालित यह जीव रूपी प्राण शरीर आपको प्रणाम करता है।
मैं आपको क्या दे सकता हूं भगवान!!
मैं तो आपको केवल और केवल अपने भाव दे सकता हूं।मैं शुद्ध भाव से आपकी प्रार्थना करता हूं।
सर्वअंतर्यामी प्रभु! भाव भरा प्रणाम स्वीकार कीजिए।
दयानिधान, कृपानिधान, सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी, सर्वअंतर्यामी प्रभु श्रद्धभरा हमारा प्रणाम स्वीकार कीजिए। तू तो सब में बसा हुआ है ।
चैतन्य युक्त अलग अलग रूपों में विधिमें आपको पुकारते हैं।
आपका ध्यान करते हैं, आपको भजते हैं। जिस भी नाम से, जिस भी भाव से, जिस भी तरीके से अपने ह्रदय में अनाहद चक्र में 12 पंखुड़ी के बीच में ह्रदय कमल में आपको प्रणाम करता हूं।
मूल्यवान जीवन को हम मूल्यवान बना सकें, हमारे विचार पवित्र हों, चिंतन अंच्छा हो, कर्म अच्छे हों, प्रत्येक क्षण को हर पल को हम अच्छा बना सकें। सद्बुद्धि प्रदान करो।
आनंदित रहें, प्रसन्न रहें, प्रेमपूर्ण रहें, मुस्कुराते हुए हर दिन का स्वागत करें। अपने कर्तव्य कर्मों को खुबी से निभायें। सक्षम और समर्थ बनकर जियें। शरीर स्वस्थ हो, मन में शांति, हृदय में प्रेम, हाथों में कर्म करने की क्षमता सदा बनी रहे।
और जब तक इस संसार में हम रहें किसी पर भी निर्भर होकर न जियें, स्वयं पर निर्भर रहें। प्रभु हमें वो क्षमता प्रदान करो। स्वस्थ रहें, निरोग रहें, प्रसन्न रहें, शांत रहें, आनंदित रहें। आपके द्वारा दी गई देन को पाकर अहंकारग्रस्त न हों।
विनम्र बने रहें। धन-धान्य, समृद्धि में, अभ्युदय में निरंतर आगे बढ़ें। लेकिन प्रभु आपकी भक्ति को, आपके प्रेम को अधिक से अधिक प्राप्त कर सकें। जीवन को सफल बना सकें। अपने सभी फर्ज, अपने सभी कर्त्तव्य हम निभा सकें।
हमें आशीष दीजिए।
हमारी विनती को, प्रार्थना को स्वीकार करें प्रभु।
आपका कोटि कोटि धन्यवाद ,प्रभु।।।
हे सर्व शक्तिमान प्रभु आपसे ही आरंभ और आप में ही अंत है।
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